Sunday 22 September 2013

जनरल वी के सिंह - यक रहैन ईर यक रहैन वीर




आदरणीय पूर्व सेनाध्यक्ष वी के सिंह जी, 
जैसा कि आप जानते हैं मैं बड़े लोगों को चिट्ठियाँ लिखता हूँ । दो दिनों से बोख़ार के कारण बेचैन मन के लिए समय व्यतीत करने का अच्छा तरीक़ा भी है । आप जानते ही हैं कि जब से पत्रकारिता शोरगुल वाली हो गई और दर्शक तू तू मैं मैं की चौपाल में टीवी से लेकर ट्वीटर तक पर मज़ा ले रहे हैं मैं घर पर समाचार माध्यमों से दूर रहता हूँ । आज जब इंडियन एक्सप्रेस में आपके बारे में ख़बरें पढ़ीं तो मैं गूगल करने लगा । कहाँ से शुरू करूँ । लिख रहा हूँ स्नेह निमंत्रण प्रियवर तुम्हें समझाने को, खत पढ़कर चल मत आना हमीं को उल्टा समझाने को ! 

" भारत के सैनिक से ज़्यादा बहादुर, संवेदनशील,सहनशील सैनिक दुनिया में नहीं हैं " 

आप अपने राज्य हरियाणा के रेवाड़ी में भूतपूर्व सैनिकों की रैली में बोल रहे थे । राजनीति में सेना से कोई आता है तो अनुशासन और ईमानदारी की दिव्य छवि लेकर आता है । अपने तमाम सहयोगियों के महाभ्रष्टाचार का बचाव करने वाली पार्टियाँ आप लोगों को मेडल की तरह सजा कर दिखाती हैं ताकि लगे न कि राजनीति में सब चोर डाकू ही हैं । आप बोले जा रहे थे-

" आज जब देश की हालत अस्त व्यस्त है । आज जब देश एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है तो भूतपूर्व सैनिकों और सैनिकों आपकी बहुत ज़रूरत है क्योंकि कहीं पर कोई कमी होती है तो सेना को बुलाया जाता है । आज अगर निर्माण का काम करना है , परिवर्तन का काम करना है तो इसमें आपकी भूमिका है "

भूतपूर्व सैनिकों का आह्वान तो ठीक है मगर सैनिकों का ? परिवर्तन और निर्माण क्या है सर? सेना का आह्वान कर रहे हैं ? सैनिकों को बुला रहे हैं तो रेजीमेंटों में नेताओं के तंबू लगवा दीजिये न वोट माँगने की रैली वहाँ भी हो ही जाए । सिर्फ इसलिए कि आप ईमानदार है और सेनाध्यक्ष पद से रिटायर हुए हैं तो एक राजनैतिक मंच से सैनिकों का आह्वान कर सकते हैं । आप फिर बोल रहे है उसी रैली में -

" देश की सुरक्षा नीतियों को देखकर अफ़सोस होता है । हमारी नीतियाँ ठीक नहीं हैं । पड़ोसी देश हमारी सीमाओं का उल्लंघन करते हैं, पश्चिम, उत्तर और पूरब की सीमाओं का उल्लंघन करते हैं । बेखौफ और बेखटके । इसलिए कि हमारी नीतियां ठीक नहीं हैं । इसलिए नहीं कि हम कमज़ोर हैं । क्या आप कमज़ोर हैं ? नहीं न तो जो कमज़ोर नीतियाँ बनाते हैं उन्हें बदलने की ज़रूरत है । "

मैं सर गूगल कर रहा था । जनवरी २०११ का आपका बयान है लद्दाख में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा के अतिक्रमण का ( सोर्स- newindianexpress.com और news.oneindia.com) । आप इस खबर का खंडन कर रहे हैं और बता रहे हैं कि यह अतिक्रमण नहीं बल्कि धारणाओं का मामला है । यानी आपके समय मे भी ऐसी बेसिर पैर की बातें होती थीं और आप खंडन करते थे । वर्ना आप कमज़ोर नीतियों के ख़िलाफ़ इस्तीफ़ा न दे देते । जब आप उम्र के सवाल पर सरकार को अदालत में खींच सकते हैं तो चीनी अतिक्रमण का विरोध तो कर ही सकते थे । अदालत वाली बात से पहले यह समझना चाहता हूँ कि आप बीजेपी के मंच पर क्यों होते हैं और बीजेपी के नेता आपके मंच पर क्यों ? बीजेपी आपका बचाव क्यों करने लगती है ? आपने अन्ना वाले मंच का क्या किया जिस पर आप रिटायर होते ही गए थे ।

( indiatoday.com, timesofindia.com, 02/02/2013, Day and Night news.com 20.9.2013) गूगल ने इस साइट से आपका एक बयान निकाल कर दिया है मुझे । जो अनुवाद के साथ इस प्रकार है-

" एक कमांडर के नाते मुशर्रफ का कारगिल युद्ध से पहले भारतीय सीमा में ग्यारह किमी अंदर आने के साहस की तारीफ करता हूँ । "

आप दुश्मन की करनी को साहस बताते हैं, कोई रोक सकता है आपको, आप सेनाध्यक्ष हैं न सर । खैर आगे जो कहते हैं अगर उसे नरेंद्र मोदी जी ने सुन लिया या संघ ने तो देख लिया तो हमको मत कहियेगा ।

" कारगिल के दौरान भारतीय पक्ष से ग़लतियाँ हुईं थीं जिससे पाकिस्तानी सेना को हमारी सेना में आने का मौका मिला । हमें मुशर्रफ को बच कर जाने नहीं देना चाहिए था " 

आप कारगिल युद्ध को भारतीय नीतियों( या एनडीए सरकार की ? ) की ग़लती मानते हैं तो आपने उस वक्त कमज़ोर नीतियाँ बनाने वालों को बदलने का आह्वान किया था ? नीतिसेंट्रल की साइट पर खबर छपी है कि आप रायबरेली से सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ टिकट मांग रहे हैं । ( बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को जो बुकलेट दिया है उसमें दिया है कि किन वेबसाइट का अनुसरण करना है । इनमें नीतिसेंट्रल भी एक है ) 

जनरल साहब बीजेपी में आपकी सेटिंग आडवाणी से भी बेहतर है । जिन्ना को अच्छा क्या बताया बेचारे को निपटा ही दिया गया । आप मुशर्रफ की तारीफ़ कर मोदी जी के साथ रैली करते हैं । उस मोदी जी के साथ जो गुजरात की चुनावी रैलियों में मियाँ मुशर्रफ पुकारा करते थे । संदर्भ बता दूँ या रहने दूँ सर । मोदी जी प्र म पद के उम्मीदवार बनकर पहली बार आपकी रैली में रेवाड़ी आते हैं । अभी आप बीजेपी में थोड़े न शामिल हुए हैं । तब ई हाल है । बीजेपी मरी जा रही है आपका बचाव करने में । कुछ तो बात है । जिन्ना सेकुलर और मुशर्रफ साहसिक । कहीं तब के सेनाध्यक्ष मलिक साहब पर तो टिप्पणी नहीं है ये । वाजपेयी जी की सरकार पर तो आप कर नहीं सकते न !

बीजेपी तो तब भी आपका पक्ष ले रही थी जब आप उम्र के सवाल पर सरकार से लड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट चले गए । वहाँ जब सोलििटर जनरल आर एफ नरीमन ने वे सारे दस्तावेज़ दिखा दिए कि आपने कब कब दस मई १९५० का जन्मदिन मानने की बात कही है तो आपके पास बचाव में कुछ नहीं था । उससे पहले तक आप भी सूत्रों से ऐसी ख़बरें लीक कर रहे थे । आप केस हार गए और पद पर भी बने रहे । इस्तीफ़ा नहीं दिया । मैं नहीं कह रहा कि आप ईमानदार नहीं है । बल्कि सेना मे आपकी यही कमाई है । लेकिन इतिहास यह भी है कि राजनीति में कई लोगों ने इस कमाई को भुनाया भी है । 

इस बीच आपने भी आरोप लगाया कि टेट्रा ट्रक के लिए किसी लेफ्टिनेंट जनरल ने आपको १४ करोड़ की पेशकश की थी । क्या सबूत दिया आपने, नाम लिया कि नहीं और सरकारी जाँच किस स्तर पर है ये सब बाद में गूगल कर यहाँ अपडेट कर दूँगा सर । वो मेजर वाला क़िस्सा भी जो वर्दी में आपके घर दिन के वक्त जासूसी उपकरण लगाने आया था ! कुछ तो चल रहा है आपके सरकार और बीजेपी के बीच ! खंडूड़ी साहब भी सेना से आए थे । ईमानदार और बढ़िया आदमी । निशंक जैसे घोटाले के आरोपी ने उन्हें चुनावी मैदान में हरवा दिया । ख़ैर । कांग्रेस में भी सही सब होता है । 

आज इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर छपी कि आपने कोई सीक्रेट एजेंसी बनाई थी ( नहीं मालूम कि यह सेनाध्यक्ष ऐसा यूनिट बनाते हैं का) जो जम्मू कश्मीर में तख्तापलट पलट का प्रयास कर रही थी । अफ़सरों ने गवाही दी है मगर सबूत मिलने के आसार कम हैं क्योंकि रितु सरीन लिखती हैं कि सबूत मिटा दिये गए होंगे । आपने एनजीओ बनवाया । क्या क्या न किया । यह भी जानता हूँ कि सत्य तो सामने आएगा नहीं हम तो बस इधर उधर की दलीलें ही करते रह जायेंगे । 

तो बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि सवाल समय का है । राजनीति का यक्ष प्रश्न है समय । निर्मला पूछती हैं कि रिपोर्ट मार्च में तैयार थी तो अभी क्यों लीक किया । मोदी जी के साथ दिखने के बाद । जो मोदी जी के साथ दिखेगा और राजनीति करेगा तो निर्मला जी सरकार भी तो राजनीति करेगी न । जनरल साहब राजनीति करें तो ठीक और सरकार करें तो बड़ी बेवकूफ । अरे भाई सारा सवाल टाइम को लेकर ही कीजियेगा या जो रिपोर्ट में सवाल किया गया है उस पर भी कुछ बोलियेगा । यह रिपोर्ट सरकार ने बनाई है या सेना के डीजी मिलिट्री आपरेशन ने ? निर्मला जी आपको सेना पर विश्वास नहीं है ? मोदी जी की विश्वसनीयता इतनी असंदिग्ध कब से हो गई कि आपको जनरल साहब उन्हीं के कारण फँसाया जा रहा है । आपकी वजह से क्या लेफ़्टिनेंट जनरल भाटिया पर संदेह करें कि वे सरकार के हाथ खेल रहे हैं या सेना में ईमानदारी आपके बाद समाप्त हो चुकी है । मैं तो पूछ रहा हूँ । मेरी मजबूरी है कि सरकार पर भी शत प्रतिशत भरोसा नहीं कर सकता लेकिन शक सिर्फ सरकार पर ही तो नहीं कर सकता न । निर्मला कहती हैं कि सेना का मनंोबल नहीं गिरना चाहिए । हद है । क्या रिपोर्ट बनाने वाले लेफ़्टिनेंट जनरल भाटिया सेना नहीं है क्या । क्या तब सेना का मनोबल नहीं गिरेगा जब उसके अफ़सर की जाँच रिपोर्ट पर बीजेपी इसलिए शक करे क्योंकि जिसके ख़िलाफ़ रिपोर्ट है वो अब पार्टी के साथ है । निर्मला जी अगर सरकार जनरल साब को बीजेपी के कारण टारगेट कर रही है तो आप भी तो उनका बचाव इसीलिए कर रही हैं कि वे आपके साथ हैं । गंगाजल की तरह ऐसी पवित्र राजनीति हमने देखी नहीं मैम । 

इस बीच किरण बेदी जी का भी ट्विट आया है कि सरकार जनरल वी के सिंह से सोच समझ कर व्यवहार करे क्योंकि सेना के लाखों जवानों की उन पर नज़र है । वे उनकी आवाज़ भी हैं । क्या बात है जनरल साहब । बेदी जी ने यह भी कहा कि सीक्रेट सर्विस फ़ंड की कोई ज़रूरत नहीं है । जब तक शिखर का सामूहिक नेतृत्व इस पर फैसला न करे । कहीं बेदी जी आप पर शक तो नहीं कर रही हैं ? या आपको बचाने के लिए नया सुझाव दे रही हैं ! और ये क्या बेदी जी । आपके क़ानून में तो सब बराबर हैं फिर ये लाखों सैनिकों की नज़र वाली बात के क्या मायने हैं ? भड़का रही हैं ? ठीक है जनरल साहब को चिट्ठी लिख रहा हूँ मगर वे आपको भी तो फार्वर्ड कर ही सकते हैं न । 

खै़र सरकार की तरफ़ से खबर आ रही है कि वो सीबीआई जाँच के लिए नहीं कहेगी । सीक्रेट फ़ंड और सैन्य ख़ुफ़िया का मामला है पता नहीं क्या क्या सामने आ जाए । जम्मू कश्मीर के उस मंत्री ने भी खंडन कर दिया है कि आपने उसे पैसे दिये थे राज्य सरकार गिराने को । लेकिन अन्ना जी जो एक सिपाही थे वे अपनी सेना के जनरल से नाराज़ हो गए हैं । उन्होंने कहा है कि अगर जनरल साहब मोदी के साथ गए तो देश का यह सच्चा सिपाही उनसे रिश्ता तोड़ लेगा ( बात सही है थोड़ी नमक मिर्च लगा दी है मैंने जैसे सच्चा सिपाही वाली बात ) 

अंत भला तो सब भला । आप राजनीति कर रहे हैं । ईश्वर करें आप सफल हों और वो दृश्य भी देख सकूँ कि आपके आह्वान पर सैनिक नीतियाँ बनाने वालों को बदलने निकल पड़ें ! ठीक सर ।

आपका ग़ैर सैनिक देशभक्त

रवीश कुमार' एंकर' 

(Ashok Kumar Pandey shared a link.)

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